सिख धर्म में मांस खाना चाहिए या नहीं ? आज हर युवा सिख धर्म का हो या अन्य धर्म से इस प्रश्न का उत्तर चाहता हैं ।
विज्ञान इस बात को साबित कर चुकी हैं कि पेड़-पौधे, सब्जियाँ सजीव होती हैं अर्थात इनमे भी जान होती हैं यह बात आज हर स्कूल, कालेजों में बताई जाती हैं और इनका अध्यन भी किया जाता हैं। यहाँ तक कि पानी के अणुओ में भी ध्वनि से परिवर्तन आता हैं।
*भारतीय वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस (1858-1937) जिन्होंने विज्ञान के कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने क्रेस्कोग्राफ नामक एक उपकरण का भी आविष्कार किया जो पौधों के ऊतकों के भीतर बहुत छोटी गतिविधियों का पता लगा सकता था जिससे पता चलता हैं कि पेड़-पौधो में भी जान होती हैं *
इससे से तो यह साबित होता हैं कि जो हम फल, सब्जियाँ आदि खाते हैं, हम लोग पहले उनकी साँसो को खतम करते हैं जो उनकी जड़ो में होती हैं एक तरह से उन्हे मार देते हैं फिर उन्हे अग्नि पर पकाते हैं जिस तरह एक पशु को मारकर उन्हे पकाते हैं और फिर खाते हैं।
दोनों में ही जान हैं सब्जी या मांस, इसलिए अज्ञानता के कारण लोगो की बाते हैं की आप को यह नही खाना हैं या वो नही खाना हैं।
गुरबानी के अनुसार मांस की परिभाषा क्या हैं :
ਮਾਸੁ ਮਾਸੁ ਕਰਿ ਮੂਰਖੁ ਝਗੜੇ ਗਿਆਨੁ ਧਿਆਨੁ ਨਹੀ ਜਾਣੈ ॥
ਕਉਣੁ ਮਾਸੁ ਕਉਣੁ ਸਾਗੁ ਕਹਾਵੈ ਕਿਸੁ ਮਹਿ ਪਾਪ ਸਮਾਣੇ ॥
मास
मास कर मूर्ख झगड़े ज्ञान ध्यान नही जानै। कउन मास कउन साग कहावे किस मह पाप समाने ।
अर्थ: मूर्ख लोग मांस और मांस के बारे में बहस करते हैं, लेकिन वे ध्यान और आध्यात्मिक ज्ञान के बारे में कुछ नहीं जानते। मांस किसे कहते हैं और हरी सब्ज़ियाँ किसे कहते हैं? पाप किससे होता है?
ਹੱਕ ਪਰਾਇਆ ਨਾਨਕਾ ਉਸੁ ਸੂਹਰ ਉਸੁ ਗਾਇ।
ਗੁਰ ਪੀਰੁ ਹਾਮਾ ਤਾ ਭਰੇ ਜਾ ਮੁਰਦਾਰੁ ਨ ਖਾਇ।
हक़ पराया नानका उस सुहर उस गाय । गुर-पीर हामा ता भरे जा मुरदार न खाए।
अर्थ : गुरबानी
में कहा गया हैं कि किसी दूसरे व्यक्ति का हक़ मारना या छीनना उसी प्रकार हैं जैसे मुसलमान धर्म में सुहर और हिन्दू धर्म में गाय का मांस खाता हैं। गुरु-पीर ( ईश्वर ) भी उनका साथ देते हैं जो किसी का हक नही खाता हैं।
गुरबानी भी कहती हैं जो लोग मांस और साग (सब्जी ) के खाने को लेकर तर्क-वितर्क करते हैं वो सब मूर्ख कहे गए हैं।
निष्कर्ष : भूमि और वातावरण के अनुसार अलग-अलग देशो मे खाने-पीने का रहन-सहन अलग अलग होता हैं। परंतु अपने आनंद के लिए किसी जीव को मार कर खाना गलत हैं। इसलिए परिस्थितियों के अनुसार, अपने शरीर को जीवत रखने के लिए इंसान क्या खाता हैं वो इंसान पर निर्भर करता हैं।
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