Rehat Maryada Mein Sikh ka meaning? सिख की क्या परिभाषा है? (Hindi)

 सिख की क्या परिभाषा है क्या आपको पता हैं ?

🌟सिख का अर्थ है:  'शिष्य' या 'सीखने वाला,' सिख वह है जो सत्य, धर्म, और ज्ञान के मार्ग पर चलने के लिए  गुरु की शिक्षाओं का अनुसरण करता है और सिख धर्म के मूल सिद्धांतों पर आधारित जीवन जीता है।

रहित मर्यादा में सिख की परिभाषा :

ਜੋ ਇਸਤਰੀ ਜਾਂ ਪੁਰਸ਼ ਇਕ ਅਕਾਲ ਪੁਰਖ, ਦਸ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬਾਨ (ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਸਾਹਿਬ ਤਕ) ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਅਤੇ ਦਸ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬਾਨ ਦੀ ਬਾਣੀ ਤੇ ਸਿੱਖਿਆ ਅਤੇ ਦਸ਼ਮੇਸ਼ ਜੀ ਦੇ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਉੱਤੇ ਨਿਸ਼ਚਾ ਰੱਖਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਕਿਸੇ ਹੋਰ ਧਰਮ ਨੂੰ ਨਹੀਂ ਮੰਨਦਾ ਉਹ ਸਿੱਖ ਹੈ           

जो स्त्री या पुरुष एक अकाल पुरख दस गुरु साहिब (श्री गुरु नानक देव जी से लेकर श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी तक), श्री गुरु ग्रंथ साहिब और दस गुरु साहिब जी की बाणी और शिक्षा और दसवें गुरु गोबिन्द सिंह जी के अमृत पर भरोसा रखता है और किस दूसरे धर्म को नहीं मानता है उसे सिख कहते हैं                                                                                                                                   (सिख रहित-मर्यादा)

khalsa

आइये जानते हैं सिख धर्म के रहितनामा में सिख के लिए क्या नियम हैं 👇

ਰਹਿਨੀ ਰਹੇ ਸੋਈ ਸਿਖ ਮੇਰਾ। ਉਹ ਠਾਕੁਰ ਮੈਂ ਉਸ ਕਾ ਚੇਰਾ ।
रहिनी रहे सोई सिख मेरा । ओह ठाकुर मैं उस का चेरा ।  

ਰਹਿਤ ਬਿਨਾ ਨਹਿ ਸਿੱਖ ਕਹਾਵੇ। ਰਹਿਤ ਬਿਨਾ ਦਰ ਚੋਟਾ ਖਾਵੇ
रहत बिना न सिख कहावे।  रहत बिना दर चोटा खावे ।   

र्थ: रहितनामा के अनुसार गुरु का सिख केवल वही है जो रहित-मर्यादा अनुसार काम करता है। वह मेरा ठाकुर (स्वामी) और मैं उसका चेला बन जाता हूं। 
आगे समझाते हुए कहते हैं कि जो सिख रहित-मर्यादा का पालन नही करता तो वह सिख मेरा सिख नहीं है और रहित-मर्यादा के बिना सिख इधर-उधर भटकता रेहता हैं अर्थात कर्म-कांड और अंधविश्वास में भटकता रहता है।  

रहितनामा का उद्देश्य सिख धर्म के अनुयायियों को एक संगठित और अनुशासित जीवन जीने की प्रेरणा देना है। इसमें सिख धर्म के नियम, आदर्श और निषेधों को स्पष्ट रूप से वर्णित किया गया है।

रहितनामा के प्रमुख लेखक

सिख इतिहास में विभिन्न रहितनामों को अलग-अलग गुरुओं के अनुयायियों और विद्वानों ने लिखा है। इनमें प्रमुख हैं:

👉भाई नंदलाल जी का रहितनामा

भाई नंदलाल जी गुरु गोबिंद सिंह जी के निकटतम अनुयायी और विद्वान थे। उनके रहितनामे में गुरु की शिक्षाओं और सिख आचरण की व्याख्या है।

👉भाई दया सिंह जी का रहितनामा

भाई दया सिंह जी, पंच प्यारों में से एक, ने सिख आचरण और धर्म के आदर्श नियमों को बताया।

रहितनामा के मुख्य सिद्धांत

  1. गुरु की शिक्षाओं का पालन:

    • सिखों को गुरु ग्रंथ साहिब और दस गुरु साहिबान के बताए मार्ग का अनुसरण करना। 

  2. पाँच ककार:

    • केश, कड़ा, कंघा, कच्छहरा , और किरपान धारण करना अनिवार्य है।

  3. अमृत छकना:

    • खालसा पंथ में दीक्षा (अमृतपान) लेना एक सिख के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

  4. निषेध:

    • नशा, झूठ, चोरी, और किसी भी प्रकार का अनैतिक आचरण वर्जित है।

  5. सेवा और संगत:

    • समाज की सेवा (सेवा) और संगत में भाग लेना सिख धर्म का मूलभूत हिस्सा है।

  6. सत्य और धर्म का पालन:

    • सिखों को अपने जीवन में सत्य, धर्म, और न्याय का पालन करना चाहिए।

"सच्चा सिख वह है जो गुरु की मर्यादा में रहता है, अकाल पुरख (ईश्वर) का नाम जप, सिमरण करता है, और सेवा करता है।"

सिख केवल एक धार्मिक पहचान नहीं है, बल्कि यह एक जीवनशैली है जो समानता, न्याय, और परोपकार पर आधारित है।


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