छोटे साहिबजादो और माता गुजरी जी की शहीदी कैसे हुई और अंतिम संस्कार कहाँ और किसने किया ?
आइये पहले जानते हैं की छोटे साहिबजादे और माता गुजरी जी को कैसे मुगलो ने गिरफ्तार किया👉
सिखों के दसवे गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादे - साहिबजादा ज़ोरावर सिंह जी जिनकी आयु 9 वर्ष और साहिबजादा फतेह सिंह जी की आयु 6 वर्ष थी। जब 1705 में मुगलो ने अपने कुरान और पहाड़ी राजाओ ने अपनी गाय माता की कसमें ली और कहा अगर गुरु गोबिन्द सिंह जी किला छोड़ दें तो उनका किसी भी प्रकार से नुकसान नही करेंगे।
- 6 पोह (20 दिसंबर) गोबिंद जी ने उन कसमों का मान रखते हुए और अपने सिखों से सलाह करके आनंदपुर साहिब का किला छोड़ दिया। तब मुगलो और पहाड़ी राजाओ ने अपनी कसमें तोड़ कर गुरु गोबिंद सिंह पर हमला कर दिया ।
- 7 पोह (21 दिसंबर) मुगलो के हमले के कारण, सरसा नदी (जिला रूपनगर, पंजाब ) के किनारे गुरु साहिब का परिवार अलग-अलग हो गया।
शहीदी का दिन 🙏
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गुरुद्वारा फतेहगढ़ साहिब |
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दीवार जहा छोटे साहिबजादो को शहीद किया |
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ठंडा बुर्ज |
गुरुद्वारा जोती सरूप
14 पोह (28 दिसंबर) को दीवान टोडरमल, सरहिंद के नवाब वजीर खान से 78,000 सोने के सिक्के देकर साहिबजादो और माता गुजरी जी के अंतिम संस्कार के लिए जमीन खरीदता हैं और अपना सबकुछ बेचकर साहिबजादो और माता जी अंतिम संस्कार करवाता हैं। जहाँ आज गुरुद्वारा जोती सरूप सिथ्त हैं।
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गुरुद्वारा श्री जोती सरूप साहिब |
बाद में , दीवान टोडरमल जी का कोई पता नहीं चला की कहाँ गए और मोती राम मेहरा जी को पूरे परिवार सहित कोहलू (तेल बनाने वाली मशीन) में दबाकर मौत की सजा सुनाई गई।
शहीदी जोड़ मेला
(हर साल 20 दिसंबर-28 दिसंबर , 6 पोह से 14 पोह पंचांग कलेंडर के अनुसार)
- गुरुद्वारे में शहीदी सप्ताह के दौरान विशेष अरदासें (प्रार्थनाएं) और कीर्तन आयोजित किए जाते हैं, जिसमें शहीदों की वीरता और बलिदान का वर्णन किया जाता है।
- शहीदी दिवस पर, विशेष रूप से चमकौर साहिब और फतेहगढ़ साहिब जैसी प्रमुख धार्मिक जगहों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्र होते हैं।
💥वीर बाल दिवस 💥
केंद्र सरकार ने हर साल 26 दिसंबर को साहिबजादों और माता गुजरी जी की शहादत की याद में वीर बाल दिवस मनाने की घोषणा की।
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