Akal Takhat kya hain aur kahan hain ? अकाल तख्त क्या हैं और 5 तख्त कहाँ हैं ?

सिख धर्म में तख्त क्यों बनाये गए?कहा और कितने तख्त हैं?

सिख धर्म का पहला तख्त : अकाल तख्त निर्माण  का इतिहास  

सिखों के छठे गुरु हरगोबिन्द साहिब जी ने अकाल तख्त (Akal Bunga अकालबुंगाका निर्माण 1606 में सिख समाज के मामलों और कारोबार के प्राधिकरण का प्रतिनिधित्व करने के लिए किया गया  था।

सिख धर्म में कोई भी अगर धार्मिक रूप से गलती करता हैतो उसे अकाल तख्त  के सामने हाजिर होना पड़ता हैं और संगत से अपनी गलतियों के लिए माफी मांगता हैं।यहाँ गलतियों की समीक्षा की जाती हैं और उसी के हिसाब से दोषी को दंड दिया जाता हैं।अगर दोष बड़ा हो तो उसे तनखैया भी घोषित किया जाता हैं

तनखैया (Tankhaiya) क्या होता हैं ? :

तनखैया (Tankhaiya) का अर्थ जिसको सिख धर्म से बाहर निकाल दिया जाता है. इस दंड में दोषी से किसी भी तरह का संपर्क नहीं रखा जाता है. उसका पूरी तरह से सिख समाज से निकाल दिया जाता है।     

सिख धर्म में 5 तख्त जो इस प्रकार हैं-


Sri Akal Takhat Sahib
Sri Akal Takhat Sahib

श्री अकाल तख्त का निर्माण गुरु हरगोबिन्द साहिब जी ने 1606 में करवाया जहां सिख समाज के मामलो और कारोबार के प्राधिकरण का प्रतिनिधित्व होता हैं।  
स्थान :अमृतसरपंजाब 


Takhat Sri Keshgarh Sahib
Takhat Sri Keshgarh Sahib

तख्त श्री केसगढ़ साहिब यह वह स्थान है जहाँ गुरु गोबिंद सिंह ने 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की थी। गुरु तेग बहादुर साहिब ने इसे पहले चक नानकी का नाम दिया था । फिर यह स्थान आनंदपुर साहिब के नाम से प्रसिद्ध हुआ।  
स्थान : रूपनगर जिले में आनंदपुर साहिबपंजाब
      
Takhat Sri Damdama Sahib
Takhat Sri Damdama Sahib 
 
तख्त श्री दमदमा  साहिब जिसे गुरु की काशी के नाम से भी जाना जाता हैं। यहाँ पर 1705 में गुरु गोबिन्द सिंह जी ने गुरु ग्रंथ साहिब जी का पूर्ण संस्करण  किया गया था। भाई मनी सिंह द्वारा लिपिबद्ध करवाया गया था । 
स्थान : तलवंडी साबोबठिंडा, पंजाब 

Takhat Sri Hazur Sahib
Takhat Sri Hazur Sahib

 तख्त श्री हजूर साहिब जहां 1708 में गुरु गोबिन्द सिंह जी ने अपना भौतिक शरीर का त्याग करने से पहले  " श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी " को  गुरु की उपाधि दी  और कहा -

आज्ञा भई अकाल की तभी चलायो पंथ,

सब सिखन को हुकम है गुरु मान्यो ग्रन्थ।

महाराजा रंजीत सिंह ने 1832-1837 इस स्थान पर गुरद्वारा का निर्माण करवाया । 
स्थान : नांदेड़ , महाराष्ट्र 


Takhat Sri Harimandir Sahib
Takhat Sri Harimandir Sahib

यहाँ सिखों के दसवे गुरु, गुरु गोबिन्द सिंह जी का प्रकाश हुआ था।  तख्त श्री पटना साहिब महाराजा रंजीत सिंह  जी ने 1837-1839 में पुर्ननिर्माण करवाया ।
स्थान: पटना , बिहार   

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